सुश्रुत पंत “ज़र्रा“ पेशे से मार्केटर और तबीअत से शायर हैं. इनका जन्म कानपुर में हुआ और स्कूली शिक्षा आगरा, भोपाल और दिल्ली में. फिर इन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से बी.एस.सी और आई.आई.एम अहमदाबाद से एम.बी.ए किया. ये पिछले 25 वर्षों से मार्केटिंग के क्षेत्र में कार्यरत हैं और देश-विदेश में अंतरराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ काम करते आए हैं. भारत के अलावा ये अमेरिका, सिंगापुर और नाइजीरिया में रहे और काम कर चुके हैं. आजकल ये मुंबई, भारत में अपने परिवार के साथ रहते हैं.
ये “ज़र्रा” के तख़ल्लुस से शाइरी करते आए हैं और शेर-ओ-सुख़न की दुनिया से मुख्यत: ऑनलाइन माध्यम से जुड़े हुए हैं. इन्होंने फ़ेसबुक और यूट्यूब के ज़रिये कई अदबी महफ़िलों में शिरकत की है जहाँ इनकी काविशों को प्यार और प्रोत्साहन मिला है. साथ ही कई पत्रिकाओं और साझा संकलनों में इनकी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकीं हैं.
“ज़र्रा” की शाइरी में रूमानियत और कैफ़ के साथ-साथ मौजूदा हालात पर फ़िक्र और तब्सिरे हैं. बेज़ारी के तल्ख़ एहसासात भी हैं और इंसानी जज़्बात का रंगीन ताना-बाना भी. ये दिल और दुनिया दोनों की बातें करते हैं और ज़िंदगी, समाज, रिश्तों की कशाकश को अपने अशआर में पिरोते हैं.